अध्यापकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनपीएसटी)

शिक्षक गुणवत्ता के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ

अध्यापकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनपीएसटी) इस विषय को सार्वजनिक रूप से उद्घोषित करते हैं कि शिक्षण गुणवत्ता क्या है और भारत में छात्रों के शैक्षिक परिणामों में सुधार के लिए क्या आवश्यक है। ये मानक मार्गदर्शक कथनों का एक संग्रह है, जो कैरियर के विभिन्न चरणों में विशेषज्ञता के विभिन्न स्तरों पर एक शिक्षक की भूमिका की अपेक्षा को परिभाषित करते हैं। ये मानक 21वीं सदी के स्कूलों में प्रभावी शिक्षण और शिक्षण कैरियर के प्रत्येक चरण में एक शिक्षक के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक दक्षताओं को भी परिभाषित करते हैं।

एनपीएसटी सेवा-पूर्व अध्यापक शिक्षा कार्यक्रमों की रूपरेखा की भी जानकारी देगा। इसके बाद, इसे राज्यों द्वारा अपनाया जा सकता है और शिक्षक कैरियर प्रबंधन के सभी पहलुओं को निर्धारित किया जा सकता है, जिसमें कार्यकाल, व्यावसायिक विकास प्रयास, वेतन वृद्धि, पदोन्नति और अन्य मान्यताएं शामिल हैं। पदोन्नति और वेतन वृद्धि कार्यकाल की अवधि या वरिष्ठता के आधार पर नहीं होगी, बल्कि केवल ऐसे मूल्यांकन के आधार पर होगी। इस प्रणाली की प्रभावकारिता के कड़े अनुभवजन्य विश्लेषण के आधार पर व्यावसायिक मानकों की समीक्षा और संशोधन 2030 में और उसके बाद प्रत्येक दस वर्ष में किया जाएगा।

इसके अलावा, ये मानक इस बात की सामान्य समझ प्रदान करते हैं कि इस व्यवसाय में क्या महत्वपूर्ण है और देश-भर में शिक्षकों से क्या अपेक्षाएं हैं। यह समझ, निम्नलिखित की जानकारी देगी:

  1. शिक्षक के कार्य की प्रकृति को परिभाषित करना।
  2. कार्य एवं सेवा की स्थितियों का सृजन।
  3. अध्यापक शिक्षा कार्यक्रमों की पुनर्रचना।
  4. शिक्षकों के प्रमाणन और पंजीकरण को सक्षम करना।
  5. जीवन-भर सीखने और कैरियर विकास को बढ़ावा देना।
  6. शिक्षक योग्यता की एकरूपता स्थापित करना और सक्रियता को सक्षम करना।
  7. शिक्षक गुणवत्ता का मूल्यांकन।
  8. शिक्षक प्रेरणा का समर्थन करना।
  9. शिक्षक की जवाबदेही/कर्तव्य।

इस प्रकार, मानकों का एक सामान्य संग्रह यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षकों और एक व्यवसाय के रूप में शिक्षण से संबंधित विभिन्न मामलों में नीतियों में सामंजस्य हो।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में अध्यापकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनपीएसटी)

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, शिक्षक को शिक्षा प्रणाली में प्रस्तावित मूलभूत सुधारों के केंद्र में रखती है। यह नीति इंगित करती है कि शिक्षक वास्तव में हमारे बच्चों के भविष्य को आकार देते हैं - और, इसलिए, स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सभी छात्रों को जोशपूर्ण, अभिप्रेरक, उच्च योग्यता वाले, व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित और पूर्णतया तैयार शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाना चाहिए।

इसके लिए, शिक्षकों को हमारे समाज के सबसे सम्मानित और अनिवार्य सदस्यों के रूप में पुनः स्थापित किया जाना चाहिए। शिक्षकों को सशक्त बनाने और उन्हें अपना काम यथा संभव प्रभावी ढंग से करने में मदद करने के लिए सब कुछ किया जाना चाहिए। आजीविका, सम्मान, प्रतिष्ठा और स्वायत्तता सुनिश्चित करते हुए, साथ ही प्रणाली में गुणवत्ता नियंत्रण और जवाबदेही की बुनियादी विधियों को स्थापित करते हुए, सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोगों को सभी स्तरों पर शिक्षण व्यवसाय में प्रवेश करना चाहिए।

ऐसा शिक्षकों के लिए अध्यापकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनपीएसटी) के माध्यम से संभव बनाया जाएगा, जो एनईपी 2020 के पैरा 5.20 में बताई गई नीचे यथा निर्दिष्ट आवश्यक नीतिगत कार्रवाई है।

पैरा 5.20. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020

सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी) के अंतर्गत व्यावसायिक मानक निर्धारण निकाय (पीएसएसबी) के अपने पुनर्गठित नए रूप में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा अध्यापकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानकों (एनपीएसटी) का एक सामान्य मार्गदर्शक संग्रह एनसीईआरटी, एससीईआरटी, विभिन्न स्तरों और क्षेत्रों के शिक्षकों, शिक्षक तैयारी और विकास में विशेषज्ञ संगठनों, व्यावसायिक शिक्षा में विशेषज्ञ निकायों और उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ परामर्श करके 2022 तक विकसित किया जाएगा। ये मानक विशेषज्ञता/चरणों के विभिन्न स्तरों पर शिक्षक की भूमिका की अपेक्षाओं और उस चरण के लिए अपेक्षित दक्षताओं को समाविष्ट करेंगे। इसमें प्रत्येक चरण के लिए प्रदर्शन मूल्यांकन के मानक भी शामिल होंगे, जिन्हें समय-समय पर क्रियान्वित किया जाएगा।